डीजीएफएसआई [एट] एफएसआई [डॉट] एनआईसी [डॉट] इन

महानिदेशक का सन्देश

भारत में प्राचीन काल से ही वृक्षों और वनों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। आज पूरा विश्व नाकेवल एक संसाधन के आधार के रूप में अपितु पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व की कुंजी के रूप में भी वनों और वृक्षों के महत्व की सराहना करने लगा है। संयुक्त राष्ट्र संगठन ने 2021 के लिए अपने प्रसंग "वन पुनरुद्धारसम्मुथान और कल्याण का मार्ग" घोषित किया है। इस संदर्भ में, भारतीय वन सर्वेक्षण की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि इसका प्रमुख कार्य भारत के वन संसाधनों का सर्वेक्षण और मूल्याकन करना है।

1987 से, भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई), उपग्रह डेटा का उपयोग करके देश का वनावरण मानचित्रण कर रहा है। वन संसाधनों के पूर्व-निवेश सर्वेक्षण के दौरान 1965 में वन इन्वेंटरी शुरू की गई थी और 2016 से एक नया ग्रिड आधारित डिजाइन अपनाया गया है।

राज्य और जिला स्तर के वनावरण आकलन प्रदान करने के अलावा रिपोर्ट में अभिलेखित वन क्षेत्रों (आरएफए) के भीतर और बाहर वनावरण, जनजातीय जिलों, पर्वतीय जिलों और पूर्वोतर राज्यों में वनावरण परिवर्तन विश्लेषण की जानकारी भी एफएसआई प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, संगठन वर्तमान में परिसंपति और गतिविधियों जैसे अवैध खनन, अतिक्रमण आदि की निगरानी के लिए अति उच्च विवेधन संकल्प (वीएचआर) डेटा के साथ काम कर रहा है।

एफएसआई का एक और प्रमुख फोकस MODIS और SNPP-VIIRS सेंसर द्वारा फॉरेस्ट फायर मॉनिटरिंग पर है। एसएमएस और ई-मेल आधारित प्री-फायर अलर्ट, नियर-रियल-टाइम अलर्ट और फायर रिस्क जोनेशन महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं।

एफएसआई ने विभिन्न NATCOM के लिए देश के वनों में कार्बन स्टॉक के आकलन को विशेष महत्व दिया है और देश की ग्रीन हाउस गैस इन्वेंटरी तैयार करने में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को मूल्यवान जानकारी प्रदान की है। एफएसआई द्वारा राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने के उपायों को तैयार किए जाने की आवश्यकता है।

एफएसआई ने देश के वन क्षेत्रों में जलवायु हॉट स्पॉट पर एक अध्ययन किया है। यह इस बात की गहरी जानकारी देता है कि कैसे तापमान में मामूली वृद्धि हमारे वनों पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकती है। इसने कच्छ वनस्पति और बाँस के वनों के गहन विश्लेषण सहित बाहय वन एवं वृक्षों के आकलन के लिए नवीनतम तकनीक और कार्यप्रणाली के उपयोग से वन आकलन आकडा कोष में मूल्यवान परिवर्धन किया है.।

ई-ग्रीन वॉच पोर्टल के माध्यम से वन संरक्षण मामलों की शीघ्र निकासी और कैम्पा वृक्षारोपण की निगरानी के लिए एफएसआई डी.एस.एस, को जानकारी प्रदान करके सरकार का समर्थन भी कर रहा है। अब एफएसआई को माननीय प्रधान मंत्री द्वारा परिकल्पित समग्र जल संरक्षण के लिए वाटरशेड के मानचित्रण पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। वन आश्रित लोगों और वनों के विकास के लिए मानचित्रण और योजना बनाना भी देश स्तर पर एफएसआई की एक पहल हो सकती है।

मैं अद्यतन कार्यप्रणाली तथा तकनीक के प्रयोग से देश के वन संसाधनों पर प्रासंगिक और नवीनतम सुचना उपलब्ध करवाने के लिए अपने संगठन की प्रतिबद्धता को दोहराता हूं और संस्थान को दिए गए जनादेश के लिए स्वयं को और अपनी टीम को पुनः समर्पित करता हूं।
 

भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2021

भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) का एक द्विवार्षिक प्रकाशन है जो पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक संगठन है।

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